दिनांक 15 जून 2016 को केन्द्र के प्राकृतिक भोजनालय का उद्घाटन संस्था के प्रधान संरक्षक पूर्व विदेश एवं वित्त मंत्री माननीय श्री यशवंत सिन्हा जी की गरिमामय उपस्तिथि में बिहार के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री नितीश जी के कर कमलों से हुआ भोजनालय के अंदर स्थित पाकशाला का माननीय श्री यशवंत सिन्हा जी ने दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन किया और मिट्टी से निर्मित इस अनूठे भोजनालय में विभूतियों के साथ प्रथम भोजन ग्रहण कर इसका शुभारम्भ किया। प्रथम भोजन में साथ देनेवाली विभूतियों में सर्वश्री अंतरराष्ट्रीय पत्रकार सतीश जैकब, भारत के वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुलदेव एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री कृष्ण मोहन सिंह, डॉo विनोदबाला सिंह, राय बहादुर शिव शंकर सहाय की पौत्रवधु श्रीमती गीता सहाय, सुख्यात फटिक बाबू की पुत्री श्रीमती वास्वती बनर्जी, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के तत्कालीन शिक्षाविद् कुलपति श्री रमाशंकर दुबे, सुख्यात शिवनारायण बाबू के पुत्र तथा भागलपुर के समाजसेवी डॉo पीo केo सिन्हा एवं संस्था के उपाध्यक्ष श्री हरवंश मणि सिंह थे।
हम जीवित पोषक तत्वों से युक्त आहार हेतु ऐसी पाक विधि से भोजन तैयार करते हैं जिससे पोषक तत्व नष्ट न हो जाएँ। रंगी हुई सब्ज़ी खाने को नकार कर बदरंग यानी स्वाभाविक रंग की सब्ज़ी की हिमायत करते हैं। हम मरीज़ों को सिखाते हैं कि सब्ज़ियों में लगे कीड़े इस बात का प्रमाण होते हैं कि इसमें जहरीली दवा नहीं डाली गई है। पेयजल की परिभाषा अत्यंत ही सरल है; जल में यदि तीन गुण हों तो वह पेयजल होता है। ये हैं रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन। हम पेयजल को जीवित अवस्था मे ग्रहण करने की वकालत करते हैं। पानी के अनमोल खनिज लवणों को मशीन से तोड़ कर या उबाल कर पीना, शरीर को कमज़ोर बना देता है, इसलिए हम इसे इस्तेमाल नहीं करने की सलाह देते हैं। मृत हवा, मृत पानी और मृत भोजन जीवन नहीं दे सकते, अतः इन्हें जीवित अवस्था में ही ग्रहण करना चाहिए। प्रकृति विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित यह सोच हमारी व्यावहारिक कार्यप्रणाली है और हमारे केन्द्र के मिट्टी से बने भोजनालय में इसी तरह का जीवित भोजन और जीवित पानी सभी मरीजों को उपलब्ध कराया जाता है।
इस पाकशाला में तैयार किया जानेवाला बिना मिर्च मसालों का भोजन और अंकुरित गेंहू के मोटे
आटे की मोटी रोटी इतनी स्वादिष्ट होती है कि दूर दूर से आये लोग इसे न केवल खाना चाहते हैं बल्कि इसे बनाने की
विधि सीखना भी चाहते हैं। बिहार के माननीय मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार जी ने जनवरी 2017 में इस केन्द्र में 3 दिनों के अपने प्रवास में मिट्टी के घर में रहने का अनुभव भी
लिया और ऐसी रोटी बनाने की कला स्वयं भी सीखी।
इस प्रकार का भोजन, पूरी सफाई और स्वच्छता से बनाने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित दल में चार महिलाएं हैं, जो कि अपने अथक परिश्रम से प्राकृतिक चिकित्सा के मूलभूत सिद्धान्तों को हमारी थाली
तक पहुँचाने का श्रमसाध्य काम, हँसते - मुस्कुराते पूरी तत्परता से करती हैं। इस पाक दल की तीन सदस्या क्रमश: सुश्री निशा कुमारी, श्रीमती सुनीता देवी और श्रीमती संगीता बैरागी, पाक दल की प्रमुख, संस्थान की वरिष्ठ परिचारिका
और पाककला प्रवीणा, श्रीमती बबिता देवी के निर्देशन में गतिमान रहती हैं। इस केन्द्र में मरीजों के स्वास्थ्य लाभ में इस दल की भूमिका महत्वपूर्ण है।
आनेवाले मरीज, उनके परिजन तथा शैक्षणिक भ्रमण पर आनेवाले छात्र समूह इसी दल से प्राकृतिक भोजन बनाने की कला का प्रशिक्षण पाते हैं।