आवासीय मरीज़
सिद्धांत रूप में स्पष्ट समझ लेना चाहिए कि रोज़मर्रा के जीवन की आपाधापी, कोलाहलपूर्ण और प्रदूषित वातावरण में निवास, अप्राकृतिक जीवनशैली और कृत्रिम खान - पान की बिगड़ी हुई आदतें, चिन्ता करने का स्वभाव और इन सबके सामूहिक प्रभाव से शरीर के अन्दर विषैले पदार्थों का जमा हो जाना ही रोगों का मूल कारण होता है। प्राकृतिक चिकित्सा विधि में सबसे महत्वपूर्ण है कि हम ऊपर लिखे हुए कारणों को दूर करें, शरीर की अन्दरूनी सफ़ाई करें और खोया हुआ स्वास्थ्य फिर से वापस पाने की कला सीखें और यह बिल्कुल सम्भव है। इसके लिए किसी भी व्यक्ति को प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र के परिसर के अन्दर सघन हरियाली के बीच, शुद्ध स्वच्छ - शान्त प्रदूषण रहित प्राकृतिक वातावरण में रह कर अपने रोग के कारणों को जड़मूल से दूर करना चाहिए और इसका कोई विकल्प नहीं होता ।
तपोवर्धन प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र का विशाल परिसर सघन हरियाली के बीच शुद्ध प्रदूषण रहित प्राकृतिक वातावरण स्वच्छ - शान्त सुरक्षित परिसर गंगा - तट से मात्र 200 मीटर के फ़ासले पर दक्षिण दिशा में अवस्थित है। परिसर में मरीज़ों के रहने के लिए आधुनिक स्नानागार एवं अन्य सुविधाओं से युक्त, मिट्टी से बनी कुटियाओं का निर्माण किया गया है। वर्तमान संसाधनों के अनुसार बीस - बाइस अंतःवासीय या आवासीय मरीज़ों के लिए साधन उपलब्ध हैं। भागलपुर से बाहर के लोग, गम्भीर अवस्था तथा जटिल रोगों से पीड़ित मरीज़ यहाँ परिसर में रह कर चिकित्सा प्राप्त कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार सरकार के सहयोग से केन्द्र परिसर के अन्दर निर्माणाधीन नए आवासीय परिसर में कुल 160 मरीज़ों के रहने के स्थान का प्रावधान किया जा रहा है।
अंतःवासीय मरीज़ों और उनके साथ आए परिजनों को केन्द्र के भोजनालय में भोजन उपलब्ध होता है। चूंकि प्राकृतिक चिकित्सा से स्वास्थ्य लाभ लेने में कुछ लम्बे समय तक परिसर में रहना होता है, इसलिए रोज़मर्रा की अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति का प्रबंध भी केन्द्र परिसर के अन्दर ही हो जाता है। मरीज़ की अवस्था और रोग की स्थिति के अनुसार चिकित्सा क्रम बनाया जाता है और सुबह 06:00 से लेकर दोपहर 12:30 तक और शाम को 03:30 से 06:30 तक अलग अलग समय सारणी के अनुसार मरीज़ों को मिट्टी, पानी, धूप और विभिन्न प्राकृतिक उपचार दिए जाते हैं, परिसर की शुद्ध हवा अपना उपचार स्वतः करती रहती है।