असाध्य रोग :-
किडनी फेल्यर, नेफ्रोटिक सिंड्रोम, किडनी की सूजन, मूत्राशय (ब्लैडर) की सूजन, विभिन्न प्रकार के कैंसर, ह्रदय की धमनियों के अवरोध (ब्लॉकेज), एन्जाइना पैक्टोरिस, मधुमेह (डायबिटीज़), वेरिकोज़ वेन, उच्च रक्तचाप एवं निम्न रक्तचाप, पेजेट्स इत्यादि ।
पाचन की बीमारियाँ :-
डिसेंट्री, हिचकी, आमाशय की सूजन, एपैण्डिसाइटिस, बवासीर, अपच कब्जियत, एसिडिटी, पेट का अल्सर, पेट के कीड़े, अतिसार, ब्लड डिसेंट्री या ख़ूनी पेचिश, गैस, पेट फूलना, कुपोषण, कोलाइटिस, दुबलापन, जीभ के घाव और मुंह के छाले, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर , उच्च या निम्न थाइरॉयड इत्यादि ।
तीव्र रोग : -
बुख़ार, इन्फ्लूएन्जा, टाइफॉयड, मलेरिया, चेचक (स्मॉल पॉक्स, चिकन पॉक्स, मिज़ल्स), किडनी की सूजन, मूत्राशय की सूजन इत्यादि ।
सांस या फेफड़े के रोग :-
पुराना ज़ुकाम, पुरानी खांसी, प्लूरिसी, दमा, ब्रोंकाइटिस इत्यादि ।
यकृत (लिवर) के रोग :-
एसिडिटी, गैस, लिवर में चर्बी, लिवर का बढ़ जाना या सूजन, पीलिया, हैपेटाइटिस-ए, बी इत्यादि ।
त्वचा के रोग :-
साधारण घाव, कार्बंकल, सफेद दाग, खुजली , एक्ज़ीमा, सोरायसिस इत्यादि ।
हड्डी के रोग :-
जोड़ों का दर्द, किसी भी प्रकार का गठिया अथवा हड्डी के विभिन्न प्रकार के रोग, आस्टियोपोरोसिस, पेजेट्स ऑफ़ बोन इत्यादि ।
सौन्दर्य चिकित्सा :-
पूरे बदन का कायाकल्प, मुंहासे, फुँसियाँ, ऐला, मोटापा, दुबलापन, गोरापन, चेहरे पर दाग धब्बे, नाखुनों के विभिन्न रोग इत्यादि ।
स्नायुमण्डल के रोग :-
स्नायुदुर्बलता, सिर का दर्द, माइग्रेन , अनिद्रा, मूर्छा, मिर्गी, उन्माद (Mania) अवसाद, अल्पबुद्धि, पार्किन्सन, लकवा, सायटिका का दर्द, बाघी, नपुंसकता इत्यादि ।
आँखों के रोग :-
अल्प दृष्टि दोष, समीप दृष्टि दोष, दूर दृष्टि दोष, (बिना चश्मे के दृष्टि सामान्य करना), कंजंक्टिवाइटिस इत्यादि ।
बालों के रोग :-
रुसी, बालों का असमय झड़ना या सफ़ेद होना इत्यादि ।
अन्य रोग :-
एनीमिया (ख़ून की कमी), पायरिया, पित्त पथरी, मूत्राशय की पथरी, सब्म्यूकस फाइब्रोसिस, (गुटका खाने से मुंह का कम खुलना), एलर्जी इत्यादि ।
स्त्रियों के रोग :-
कष्टप्रद मासिकधर्म, श्वेतप्रदर, रक्तप्रदर, संतानहीनता अथवा गर्भधारण से सम्बंधित समस्या, हिस्टीरिया इत्यादि ।
अज्ञात एवं विचित्र रोग :-
जिन रोगियों के लिए भिन्न – भिन्न चिकित्सकों की राय अलग – अलग होती है तथा किसी भी दवा या चिकित्सा से लाभ नही हो पाता है, उन रोगियों की चिकित्सा मुखाकृति विज्ञान के अनुसार चेहरे पर आए लक्षणों के आधार पर की जाती है । (मुखाकृति विज्ञान एक प्राचीन और लुप्तप्राय विज्ञान है, जो चेहरे में आये बदलावों से शरीर में पल रहे रोगों की पहचान करना सिखाता है ।)