इस केन्द्र के संस्थापक स्वर्गीय डॉ सदानन्द सिंह एक सुख्यात स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें अंग्रेजी न्यायालय द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के अपराध में कारावास के साथ चैदह बेंत की सजा दी गई थी।
इस केन्द्र की स्थापना के नेपथ्य में महात्मा गांधी की ही प्रेरणा थी, जिन्होंने संस्थापक को मात्र १४-१५ वर्ष की उम्र में प्राकृतिक चिकित्सा के मूलभूत सिद्धान्तों से अवगत कराया था। इसके उपरान्त संस्थापक ने कई वर्षों तक आरोग्य केन्द्र, गोरखपुर में स्व॰ महावीर प्रसाद पोद्दार एवं विðल दास मोदी के संरक्षण में रहकर षिक्षण, प्र्रषिक्षण एवं व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया और भागलपुर वापस लौटकर किराए के मकान में एक प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र प्रारंभ किया। यह तिथि थी १८ दिसम्बर १९५४। इनके इस कार्य में इनका आर्थिक सहयोग श्री बनारसी कोटरीवाल एवं श्री मदनलाल हिम्मत सिंहका ने किया।
गांधी के विचारों एवं दृष्टिकोण के प्रभाव में संस्थापक डॉ सदानन्द सिंह ने प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र को एक सार्वजानिक संस्था के रूप में विकसित किया, जहाँ समाज के निर्धन एवं वंचित वर्ग को निःशुल्क उपचार दिये जाने लगे, बजाय इसके कि वे इसे निजी तौर पर धनोपार्जन करने का साधन बनाते हुए, व्यावसायिक लाभ लेते, उन्होंने इस स्थान को एक जनकल्याणकारी संस्था का रूप देना और उस दौर के अनेक महत्वपूर्ण लोगों को इस केन्द्र से जोड़ना शुरू किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के काल की देश की अग्रिम पंक्ति की अनेक विभूतियों से उनका निकट का सम्पर्क रहा।